गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

उम्मीदों के गीत.....


जीवन सतत चलने का नाम है।ये ऐसा सफर है जिसमें पथिक को विश्राम तभी मिलता है जब वह मौत के आगोश में चला जाता है।जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।कभी खुशियों के बसंत आते हैं तो कभी गम की पतझड़ का सामना भी करना पड़ता है। हंसी-खुशी के पल जितने भी मिले कम लगते हैं और जब दुख का सामना करना पड़ता है तो एक-एक पल भारी लगने लगता है।उस समय ऐसा लगता है मानों दुनिया में कुछ भी नहीं रह गया है।सारी बातें बेमानी सी लगने लगती हैं।
हौसला जवाब देने लगता है।कदम डगमगाने लगते हैं और खुद को संभालना भी मशक्कत का काम हो जाता है।ऐसे समय में दुखी आदमी किसी अपने का सहारा ढूंढता है। लेकिन सबको अपनों का साथ हर वक्त मिल जाए ये मुमकिन नहीं।तब ऐसे समय में हम गीत-संगीत सुनकर या ऐसी ही किसी मनपसंद काम करके अपने आपको मशरूफ रखते हैं।गीतों का जिक्र आया है तो मुझे कुछ चुनिंदा गीत याद आ रहे हैं,जो दुखी मन में आशा का संचार करते हैं।थके हारे से उदासी भरे मन को धीरज बंधाते हैं।
किशोर दा के रोमांटिक गीतों के साथ सैड सांग्स भी बेहद पसंद किए जाते हैं। उन्होंने उम्मीद और आशाभरे बहुत से गीतों को अपने आवाज से सजाया है।जो जीने का जज्बा पैदा करते हैं और नए उत्साह का संचार करते हैं।एक फिल्म आई थी दोस्ती धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी वाली। उसमें एक गीत है"गाड़ी बुला रही है...सीटी बजा रही है.."आनंद बक्षी के कलम से निकले शब्द और लक्ष्मी प्यारे के संगीत के साथ किशोर कुमार के आवाज़ के ताल-मेल के क्या कहने!! रेलगाड़ी के माध्यम से जीवन की दार्शनिकता को इस गीत में बखूबी पिरोया गया है। एक-एक लफ्ज सच्चाई का करीब से सामना कराता है।
 ऐसे ही मि.इंडिया फिल्म से"जिंदगी की यही रीत है...",कहां तक ये मन को अंधेरे छलेंगे(बातों बातों में),जिंदगी एक सफर है सुहाना (अंदाज),रूक जाना नहीं तू कहीं हार के(इम्तेहान),एक रास्ता है जिंदगी(काला पत्थर)आदि।सभी गीत किशोर कुमार के आवाज की जादू से सराबोर एक से बढ़कर एक और बेहतरीन हैं।
 रफी साहब के गीत भी बेहद लाजवाब है। फिल्म जीने की राह का गीत तो आप सबने सुना ही होगा....एक बंजारा गाए,जीवन के गीत सुनाए।है ना दिलकश और जीने का राह दिखाती गीत।वैसे ही रफी साहब का माझी चल ओ माझी चल गीत भी बेहद खूबसूरत और अर्थपूर्ण है।
मन्नाडे साहब ने फिल्म सफर में बेहद प्यारा सा गीत गाया है।जीवन में चलने की सार्थकता सिद्ध करती सी-नदिया चले,चले रे धारा...तुझको चलना होगा।और संसार के दोहरे चरित्र को उजागर करते से मलंग चाचा के गीत"कस्में वादे प्यार वफा सब बातें हैं,बातों का क्या?"याद ही होगा। उपकार फिल्म का ये गीत उनकी आवाज में कालजयी बन पड़ा है।
राजकपूर की आवाज कहे जानेवाले मुकेश जी के सभी गीत सदाबहार हैं।आज भी उनके चाहनेवालों की कमी नहीं है। उन्होंने फिल्म संबंध में कवि प्रदीप की लेखनी और ओपी नैय्यर साहब की संगीत की जादू के साथ एक बेहद प्यारा गीत गाया है-चल अकेला,चल अकेला तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला।गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की एकला चलो रे की तरह अकेले ही सभी झंझावातों का सामना करने की ताकता भरता सा गीत।खास बात ये है कि कवि प्रदीप के एक-एक शब्द बेहद महत्वपूर्ण है।एक पंक्ति मुझे बड़ी अच्छी लगती है-
जमाना साथ ना दे तो तू खुद से प्रीत जोड़ ले।
बिछौना धरती को कर ले,अरे! आकाश ओढ़ ले।।
कितनी बड़ी बात!वैसे एक कवि की लेखनी का कमाल ही कुछ और होता है।उनका ही लिखा एक और बेहद सुंदर गीत है-सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव।
कभी धूप तो कभी छांव।
जीवन में होने वाले बदलाव को रेखांकित करता ये गीत आज भी प्रासंगिक है और एक एक शब्द अक्षरशः सत्य भी।
महेंद्र कपूर देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं।उनकी आवाज मनोज कुमार पर खूब जचती है।उनकी फिल्म शोर में उन्होंने बहुत बढ़िया गीत गाया है-जीवन चलने का नाम,चलते रहो सुबहो शाम।जीवन में निरंतर चलने का संदेश देता ये गीत बेहतरीन है।इसके अलावा उन्होंने शायद हमराज फिल्म के लिए ये गीत भी गाया है-न सर छुपा के जियो और न सर झुका के जियो।
गमों का दौर भी आए तो मुस्कुरा के जियो।
  इतना सारा लिखने का कुल जमा हासिल ये है कि जिंदगी हमेशा खुशगवार नहीं होती। इसमें उतार चढ़ाव के पल आते-जाते रहेंगे। परिस्थितियां कभी कभी विपरीत भी हो सकती है।तब आप संघर्ष से पलायन के बारे में ना सोचें।मूसीबतों का हमेशा डटकर मुकाबला करें।हो सकता है आपकी दुश्वारियां अपनों के साथ मिलने से जल्द ही दूर हो जाएं या कुछ ज्यादा वक्त ले। बावजूद इसके कोशिश करें सबको खुश रखने और खुद खुश रहने की। लेकिन अगर आप अकेले हैं और किसी अपने का साथ या हमदर्द ना मिलें तो जरूर सुनें... उम्मीदों के गीत
रीझे
 टेंगनाबासा(छुरा)







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