सोमवार, 2 सितंबर 2024

ये हौसले की उड़ान है


 कल सवेरे एक मित्र के वाट्सएप स्टेटस में एक खबर देखकर बहुत खुशी हुई।खबर थी हमारे क्षेत्र के 2 नौनिहालों के एमबीबीएस के लिए चयनित होने का।खबर इसलिए भी खास थी कि ये समूचे अंचल को गौरवान्वित करने वाली खबर थी।साथ ही एक परिचित से जुड़ी थी।और इन सबसे बढ़कर ये खबर दूसरे बच्चों को अध्ययन  के लिए प्रेरित करने वाला खबर था।सुदूर आदिवासी अंचल में  निवासरत जनजातीय समूह के बच्चों  का नीट जैसी प्रवेश परीक्षा पास कर चयनित होना निश्चित रुप से आदिवासी क्षेत्रों के लिए शुभ संकेत है।

सरकार की"प्रयास विद्यालय" जैसी पहल भी नि:संदेह साधुवाद का पात्र है जिन्होंने आदिवासी बच्चों के हौसलों को उडा़न और उनके सपनों को पंख प्रदान किया है।

"प्रयास आवासीय" विद्यालय योजना का उद्देश्य नक्सल प्रभावित जिले और आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा देना है। स्टूडेंट्स को कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी भी कराई जाती है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के लिए विशेष कोचिंग दी जाती है।इन आवासीय विद्यालयों से हर साल कई बच्चों का बड़े शिक्षण संस्थानों में सिलेक्शन होता रहा है।छत्तीसगढ़ में 9 प्रयास आवासीय विद्यालय हैं।

इस खबर में जिन2 बच्चों का नाम छपा है उस में से जिस बालिका का नाम आया है उनके गुरुजनों और उनके पापा से मेरा परिचय रहा है। उनके शिक्षकों ने बच्ची की क्षमता को परखा और भरपूर प्रोत्साहित किया। साथ ही उनके पिताजी जगतराम कंवर के मेहनत और लगन को भी सराहा जाना चाहिए।

जगत भाई से स्कूल के जमाने से परिचित हूं।जब मैं मिडिल स्कूल में था वे मुझसे 2 कक्षा आगे पढ़ रहे थे।तब वे अपने गांव से पैदल ही 4 किमी चलकर छुरा पढ़ने आते थे। संभवतः परिस्थितिवश वो बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए और एक कपड़ा दुकान में नौकरी करने लगे।अपनी ईमानदारी और लगन से उन्होंने अपना स्थान बनाया और संभवतः छुरा नगर में एक ही दुकान में लंबे समय तक काम करने के उनके रिकार्ड को अब शायद ही कोई तोड़ पाए।जब उनके दुकान मालिक ने अपना होलसेल बड़ा दुकान खोला तो उस दुकान को उन लोगों ने उन्हीं के संचालन में छोड़ दिया। वर्तमान में अब वे कपड़ा दुकान के संचालक हैं।

ईमानदारी और मेहनत का फल देर सवेर जरुर मिलता है।इस बात को जगत भाई ने साबित किया है। फिलहाल जगत भाई और उनके परिजनों को बेटी के चयन पर बहुत बहुत बधाई....

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Bahut Sundar lekh rijhe bhai

झांपी-यादों का पिटारा ने कहा…

धन्यवाद भाई

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