एक दौर था जब ब्लाॅगिंग में खूब कलम घिसाई चलती थी। नई पुरानी बातों पर खूब लिखा करता था। लेकिन बीते सालों में कुछ ऐसी घटनाओं से साक्षात्कार हुआ कि लेखन लगभग-लगभग थम सा गया है।
कुछ बदलाव भी इन दिनों देखने को मिल रहा है।अब लोग मोबाइल पर कुछ पढ़ने के बजाय यूट्यूब के शार्ट विडियो को स्क्राल करने में अधिक आनंद महसूस करते हैं।लिखाई पढ़ाई वाला दौर भी गुजरने वाला है समझिए। पाठकों की प्रतिक्रिया भी अब ज्यादा नहीं आती।पाठक की प्रतिक्रिया ही लेखन के लिए टानिक का काम करती है।टानिक स्वाद में कड़वा रहे या मीठा लेकिन सेहत के लिए फायदेमंद जरुर होता है।ठीक वैसे ही अच्छी बुरी दोनों प्रतिक्रिया लेखन के लिए लाभकारी होता है।
ब्लॉग लेखन में अभनपुर निवासी आदरणीय ललित शर्मा जी ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है।एक समय में वे ब्लॉगिंग की दुनिया के स्टार रहे हैं और आज भी छत्तीसगढ़ की पुरातन परंपराओं और इतिहास के ऊपर लेखन में सक्रिय है। नवोदित लेखकों को भी अपने वेब पोर्टल में भरपूर मौका देते हैं। उनसे प्रत्यक्ष मुलाकात का अवसर भी मिला है। छत्तीसगढ़ में प्रचलित रामलीला के ऊपर उनकी किताब को उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है।
छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर लेखन और संकलन के लिए उनका प्रयास स्तुत्य है।
ब्लॉग लेखन आनंददायक काम है।जब किसी विषय पर लिखने का मूड बनता है तो बस लिखते चले जाते हैं।किसी प्रकार की कोई विशेष तैयारी नहीं करनी पड़ती। महिनों बाद फिर से कुछ लिखने का मन बना है। उम्मीद है कि कुछ लिख पाऊं....मेरे मार्गदर्शक पाठकों से मुझे स्नेह मिलता रहेगा ऐसी आशा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें