सोमवार, 4 जनवरी 2021

उम्मीदें 2021

 


त्रासदी भरा साल 2020 अपनी दुखद स्मृतियों के साथ विदा हुआ और साल 2021 ने दस्तक दे दी है।उम्मीद करते हैं कि नया साल सबके लिए मंगलकारी होगा।वैसे हर नये साल के मंगलकारी होने की कामना तो हम हर बदलते कैलेंडर के साथ करते हैं,पर साल का अच्छा या बुरा होना हमारे बस में नहीं होता।अपना सोचा कब होता है?वो जब सोचे तब होता है। वो मतलब ऊपर नीली छतरी वाला मालिक।सबका सृजनकर्ता, पालनहार,जगतनियंता ईश्वर।
इंसान को ऊपरवाले ने ही बनाया है लेकिन नश्वर धन-दौलत और संपत्ति के मोह में फंसा माटी का पुतला जब कुदरत को ललकारने का दुस्साहस करता है तब उसका हश्र बहुत बुरा होता है।
वैसे पिछले साल की महामारी ने अब तक पीछा नहीं छोड़ा है। वैज्ञानिकों की मानें तो कोरोना नाम का दैत्य अब अपडेटेड होकर अधिक घातक होकर लोगों की जान लेने पर आमादा है।
भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में अल्प सुविधाओं के बावजूद कोरोना जैसी महामारी का नियंत्रण काबिले तारीफ है।इसके लिए भारत की सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की पीठ थपथपाई जा सकती है।जिस देश में कभी पीपीई किट नहीं बनती थी,वो देश अपने दृढ़ संकल्प से पीपीई किट के उत्पादन में विश्व में बहुत जल्दी ही दूसरे नंबर पर आ गया।लोगों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में सरकारी तंत्र की तत्परता, चिकित्सा पेशे से जुड़े सभी लोगों का समर्पण निश्चित रूप से वंदनीय है।
साल 2021 में आशा करते हैं कि देश का विकास होगा और लोगों की जिंदगी में खुशियों का संचार होगा।हम सबको महामारी से निपटते हुए बच्चों की पिछड़ती हुई शैक्षिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पिछले साल अगर किसी का सर्वाधिक नुकसान हुआ है तो वे विद्यार्थी ही थे।लंबे समय तक स्कूल के बंद हो जाने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई का बहुत अधिक नुकसान हुआ है। हालांकि शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को आनलाईन पढ़ाई से जोड़े रखने का वैकल्पिक प्रयास किया जा रहा है। कहीं कहीं पर इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मोहल्ले क्लास के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से जोड़े रखने का प्रयास किया जा रहा है।
मेरे विचार से अब स्कूलों को खोलने की दिशा में विचार किये जाने की जरूरत है। जिन क्षेत्रों में केस में कमी आ गई है या जहां कोरोना केस निरंक हैं उन क्षेत्रों में व्यापक सुरक्षा प्रबंध के साथ 50% बच्चों की अल्टरनेट उपस्थिति सिस्टम से स्कूलों में पढ़ाई शुरू किये जाने की जरूरत है ताकि ये शैक्षणिक सत्र खाली ना गुजरे।
कोरोना महामारी की मार से प्रभावित छोटे-छोटे व्यावसायियों और प्राइवेट फर्म में नौकरी कर रहे लोगों को आर्थिक सहायता दिए जाने की जरूरत है ताकि वे आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकें। आखिर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कुछ नहीं हो सकता। बदलाव की दिशा में प्रयास जरूर होना चाहिए।
आप सभी को नये साल 2021 की अशेष शुभकामनाएं!!!नया साल आप सबके लिए कल्याणकारी हो... मिलते हैं अगले पोस्ट में..तब तक राम राम

फोटो सोशल मीडिया से साभार

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