रविवार, 9 अगस्त 2020

भूलन बंद

 


हमारे आसपास में एक से बढ़कर एक चमत्कारिक घटनाओं की बातें हमेशा से होती रही है।कुछ अनोखी चीजों के बारे में सुनकर उसके बारे में जानने की उत्सुकता हमेशा रहती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में आयुर्वेदिक गुण वाले वनस्पतियां बहुतायत में मिलते हैं और कुछ रहस्यमयी वनस्पतियां और जीव जंतु भी।प्रकृति की कोख में अनगिनत रहस्य भरे पड़े हैं। छत्तीसगढ़ भी प्राकृतिक संपदा से भरपूर है और यहां भी कुछ अनूठे पेड़ पौधे आज भी मिलते हैं।अगर मैं कहूं कि एक जंगली पौधे के स्पर्श से आप दिग्भ्रमित हो जायेंगे तो इस पर सहसा यकीन करना मुश्किल लगता है।पर ऐसा देखने सुनने में आते ही रहता है।तोआज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के ग्राम्य अंचलों के जंगलों में मिलने वाले एक रहस्यमयी और चमत्काारिक पौधे भूलन बंद के बारे में। 

छत्तीसगढ़ी में अवांछित ढंग से उगे पौधों और जंगली घास आदि को सामान्यतः बंद (खरपतवार)कहा जाता है।ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा होता है भूलन बंद,जिस पर यदि किसी का पैर पड़ जाये तो वह मतिभ्रम का शिकार हो जाता है और रास्ता भूल जाता है।जो आदमी भूलन बंद के स्पर्श से रास्ता भूल जाता है वह उसी जगह पर ही दिनभर घूम घूमकर रह जाता है,पर उसे राह नहीं सूझता।दिनभर मैंने इसलिए कहा है क्योंकि ज्यादातर भूलन बंद वाले घटनाओं में बरदिहा(चरवाहे) लोगों ने ऐसे लोगों को रास्ता दिखाया है और वे शाम तक घर लौट जाते हैं। गांवों में चरवाहे पशुओं को जंगलों में चराने ले जाते हैं और दिनभर चराने के बाद गोधूलि बेला के पहले लौटने लगते हैं।तब लौटते समय ऐसे फंसे हुए लोगों को वही लोग लाते थे।कभी कभी तो उन लोगों को ढूंढने के लिए भी जाना पडता था।कुछ लोगों को मेरी ये बात कपोल कल्पना लग सकती है,पर है ये सोला आना सच!!मजे की बात ये है कि उस पौधे कोई भी पहचान नहीं सकता।जो आदमी भूलन बंद के कारण जिस जगह पर भटकता रहा हो,वह खुद भी नहीं बता सकता कि किस पौधे पर उसका पैर पडा था।भूलन बंद के कारण जंगल में भटकने वाले लोगों का अनुभव सुनना काफी मजेदार होता है।गांव में लोग लकड़ी आदि काटने के लिए जंगल जाते हैं और ऐसी घटनाएं यदा कदा घटती रहती है।

 भूलन बंद साहित्य सृजन का माध्यम भी बना है। छत्तीसगढ़ के साहित्यकार श्री संजीव बख्शी ने भूलन बंद(भूलन कांदा)के नाम से एक उपन्यास लिखा है जो काफी प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के फिल्मकार मनोज वर्मा ने इस कथानक पर फिल्म भी बनाई है जिसकी शूटिंग गरियाबंद अंचल में हुई है।इस फिल्म में गरियाबंद के थाने,भुंजिया जनजाति बाहुल्य ग्राम मौहाभाटा और रसेला के साप्ताहिक बाजार का फिल्मांकन किया गया है।रसेला के बाजार फिल्मांकन के समय मैं भी वहां मौजूद था।इस फिल्म की कहानी में भुंजिया जनजाति को आधार बनाकर पिरोया गया है। फिल्म के कलाकारों में छत्तीसगढ़ी सिनेमा के नामचीन कलाकार ओंकारदास मानिकपुरी,आशीष सेंदरे,हेमलाल कौशल,सेवकराम यादव,उपासना वैष्णव हैं।इस फिल्म को विभिन्न फिल्म समारोहों में पुरस्कृत भी किया गया है। बड़े पर्दे पर आज भी इस फिल्म का इंतजार है.....

बख्शीजी का उपन्यास तो अभी नहीं पढ़ पाया हूं तो कथावस्तु पर अधिक जानकारी नहीं दे पाउंगा।पर इस कहानी में गांव की सरल सामाजिक न्याय प्रणाली,सरल जीवन और गांव के आपसी प्रेम भाव का चित्रण है। उपन्यास बस्तर के एक छोटे से गांव नीचे गांव की कहानी है।गांव का नाम नीचे गांव इसलिए क्योंकि वो नीचे था।मतलब हम लोग जिस तरह बस्ती के पारा मोहल्ले को ऊपर पारा या खाल्हे(नीचे) पारा कहते हैं।इस गांव में एक बार दो ग्रामीणों भकला और बिज्जु के बीच झगड़  हो जाता है।इस झगडे के दौरान दुर्घटनावश बिज्जू की मौत हो जाती है।घटना की जानकारी तब गांव की पंचायत तक पहुंचती है।भकला के परिवार की दशा को देखते हुए पंचायत के मुखिया द्वारा गांव के एक नशेड़ी और बीमार आदमी गंजहा को इस मौत का इल्जाम अपने ऊपर लेने  के लिए तैयार किया जाता है।गंजहा को भी भकला की पत्नी में अपनी बेटी नजर आती है और वो इसके लिए तैयार हो जाता है।जेल जाने के बाद उसकी सेहत और आदतों में सुधार होने लगता है।भकला और उसकी पत्नी भी बेटी दामाद की तरह उससे नाते का निर्वहन करते हैं।फिर घटनाक्रम में मोड़ आता है और पुलिस को पता चल जाता है कि गंजहा निर्दोष है और आरोपी कोई और!फिर पूछताछ की लंबी प्रक्रिया चलती है जिसमें पूरे गांव को आरोपी बनाया जाता है।निश्छल गांववाले जेल भी खुशी खुशी जाते हैं। अंततः तमाम कानूनी पचड़े के बाद भकला को दस साल की सजा होती है और जब वो जेल से छूटता है तो पूरे गांव के लोग उसकी स्वागत में उमड़ पडते हैं।ये उपन्यास की कहानी का सार संक्षेप है।बख्शीजी के उपन्यास भूलन कांदा को पढने की इच्छा और प्रबल हो गई है,जब से मैंने इस कहानी का संक्षिप्त विवरण कहीं पर पढा है।तब तक आप सब अपने-अपने कार्य पर लगे रहें,ध्यान रहे भूलन बंद पर पैर ना पड़े मतलब आप इधर उधर की फालतू बातों में ना पड़ें।बाकि बातें अगले पोस्ट में तब तक राम...राम....



1 टिप्पणी:

Nagusen ने कहा…

शानदार लेख।।

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