रविवार, 30 अगस्त 2020

मधुशाला


  आज एक बोर्ड लिखने के सिलसिले में एक अति व्यस्ततम मार्ग वाले रोड में जाना हुआ। उस रोड में एक नया भोजनालय खुला था उसका नाम वगैरह लिखना था। पहुंचकर मैंने अपना रंगों का पिटारा खोला और अपने काम में रम गया।कुछ देर बाद एक सज्जन आए और पूछा-आज मंदिर बंद है क्या? मैंने उसका मंतव्य समझकर हां में सर हिलाया।यही प्रश्न तीन घंटों के दरम्यान चार पांच लोगों ने पूछा और मैं सहमति में सर हिलाता रहा।
 दरअसल आज लोग जिस मंदिर के बारे में पूछ रहे थे वो कोई पूजास्थल नहीं बल्कि शराब दुकान था। आम बोलचाल की भाषा में हमारी तरफ मदिरालय को सम्मान स्वरूप मंदिर कहा जाता है।वैसे इसके अनेक नाम हैं जैसे-दारूभट्ठी, शराबखाना,ठेका और साहित्यिक नाम मधुशाला।आज मोहर्रम के कारण दारू भट्ठी बंद थी और भक्तजन भटक रहे थे।कुछ बंदे तो अन्य वैकल्पिक माध्यमों का पता भी पूछ रहे थे पर मैं इस मामले में निरा गंवार हूं तो उन लोगों को मैंने निराश करने वाला जवाब दिया और वे चले गए।
 हमारा छत्तीसगढ़ राज्य धन-धान्य और प्राकृतिक संपदा से संपन्न राज्य है और हम छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया!!अपनी सरलता को हम कभी कभी और कहीं कहीं घमंड के स्तर पर भी ले जाते हैं। लेकिन एक मुद्दे पर हम अपना सिर नीचा करने के लिए बाध्य होते हैं।और वो मुद्दा है मद्यपान मतलब शराबनोशी मतलब नशापान। पिछले साल तक हम देश में शराबखोरी के मामलेे में प्रथम स्थान की गरिमा बढा रहे थे जबकि हमारी कुल जनसंख्या से चौगुना जनसंख्या वाला राज्य महाराष्ट्र भी हमारे पीछे चल रहा था।
   छत्तीसगढ़ में शराब का बढ़ता चलन प्रदेश के भविष्य के लिए कुछ अच्छे संकेत नहीं हैं। हालांकि सरकार के नजर में और अर्थव्यवस्था के पोषण के लिए शराब बिक्री में इजाफा अच्छा है। लेकिन समाज पर शराबखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण गलत प्रभाव पड़ रहा है।आज से सात आठ साल पहले मैं शराब के ठेके पर लेखन कार्य से गया था तभी एक आठ नौ साल की बच्ची झोला और पैसे लेकर आई और शराब लेकर चली गई।तब दुकान के कर्मचारी,जो शायद बिहारी था उसने मुझसे कहा था-देख लो छत्तीसगढ़ की हालत!!!इ हाल है आपके छत्तीसगढ़ का। छोटे-छोटे बच्चों को भी शराब लाने भेज रहे हैं।तब मेरा सिर शर्म से गड़ गया था और मैं निरूत्तर हो गया।
छत्तीसगढ़ राज्य ने देखते ही देखते शैशवास्था को पार कर तरूणावस्था में पहुंच गया है और राज्य के नवयुवक शराब के नशे के गिरफ्त में जकड़ते जा रहे हैं।गांव हो या शहर तकरीबन सभी जगह शराबियों की भरमार है।शाम होते ही मदिरालय जाने वाला मार्ग गुलजार होने लगता है।शहर के सभी मंदिरों को मिलाकर भी इतनी भीड़ नहीं होती जितनी भीड़ मदिरालय में देखने के लिए मिलती है।हर गांव में सडक किनारे चखना दुकानें स्वागत करती दिखाई पड़ती है जहां डिस्पोजल,नमकीन और ठंडे पानी की व्यवस्था होती है।एक नया स्टार्ट अप खुला है छत्तीसगढ़ के सभी गांव शहरों में।
 जब तक बीजेपी सत्ता में रही कांग्रेसी शराबबंदी का राग अलापते रहे और अब कांग्रेसी सत्ता में हैं तो बीजेपी शराबबंदी के लिए सरकार को आईना दिखा रही है।अभी तक के घटनाक्रम को देखकर यही लगता है कि शराब दुकानों को बंद करने का साहस कोई सरकार नहीं दिखा सकती। राजस्व प्राप्ति के एक बहुत बड़े स्त्रोत को कोई खत्म भी नहीं कर सकता।कौन जानबूझकर राज्य के अर्थव्यवस्था की सेहत खराब करेगा?
कागजी कार्रवाई और नारेबाजी में शराबबंदी की बातें अच्छी लगती है ,मगर उसको धरातल पर उतारना बहुत ही कठिन काम है।मेरे विचार से पूर्ण शराबबंदी की बात ही बेतुका है।शराब कुछ लोगों के लिए आवश्यक चीजों के अंतर्गत हैं।और जनजाति बाहुल्य राज्य होने के कारण विभिन्न पर्वों आदि पर शराब का उपयोग किया जाता है।ऐसे में इसको बंद करना थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है।लेकिन प्रति व्यक्ति शराब वितरण को नियंत्रित किया जा सकता है।शराब के लिए भी रसोईगैस या राशनकार्ड की तरह का कोई सिस्टम होना चाहिए ताकि शराबियों का डेटा सरकार के पास रहे।
शराबबंदी समस्या का हल नहीं हैं। शराबबंदी से शराब की तस्करी और जहरीली शराब सेवन की घटनाएं बढ़ेगी।शराब की खपत को राज्य में घटाने की आवश्यकता है। दिग्भ्रमित होकर अपना स्वास्थ्य और संपत्ति बर्बाद करने वाले नवयुवकों को सही राह दिखाने की जरूरत है। युवाओं के लिए रोजगार का सृजन किया जाना चाहिए ताकि वो दिशाहीन हो भटके मत। हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की एक पंक्ति याद आ रही है जो युवाओं के लिए है-
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला
किस पथ जाऊं मैं?असमंजस में है वो भोलाभाला
अलग-अलग पथ बतलाते सब,पर मैं ये बतलाता हूं
राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाला।।
मतलब ये है कि इधर उधर की बातों में ना आकर केवल अपने लक्ष्य के मार्ग पर चले तभी उसको मधुशाला रूपी लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी!!!
आगे फिर किसी बात पर बात करेंगे।तब तक राम...राम...

4 टिप्‍पणियां:

Sanjay Paleshwar ने कहा…

सरकार खुद शराब दुकान चला रही दोस्त....

Unknown ने कहा…

Sarkar ko sahah to dikhana padega sarab bandi ke liy.. udhaharan ke liy Gujrat dekh lo jab chhattisgarh ka janm bhi nhi hua tha tab se sarab band hai aur uski arthvyavastha ka growth india me sabse jyada hai.. yhan tak ke 36 garh se pichhda rajya bihar ne bhi is pr ban lga diya hai. Isme koi doubt nhi ki suruvat me problem to aayega hi pr suruvat to krna hi hoga. Iska result hme nhi hmare aane vali pidiyon ko milega...

Unknown ने कहा…

ये जो लोग शराब नहीं पीते है इस बात को समझ सकते है की शराब कितना हानि कारक है ! शराब बंदी कराना बहुत बड़ी समस्या है !

झांपी-यादों का पिटारा ने कहा…

सहमत

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