रविवार, 11 अक्टूबर 2020

पिछले दिनों में....

     
पिछले कुछ दिनों में इतनी व्यस्तता रही की लिखने का संजोग ही नहीं बना।हम दुनियादारी के लिए भले ही वक्त निकाल सकते हैं,मगर खुद के लिए,अपने शौक के लिए वक्त निकालना कभी कभी मुश्किल सा हो जाता है।कुछ ऐसा ही मेरे साथ पखवाड़ा भर होते रहा और मैं कोई नया पोस्ट नहीं डाल पाया। लेकिन इन पिछले दिनों के भीतर एक अच्छी बात ये हुई कि मेरा परिचय छत्तीसगढ़ के मशहूर ब्लागर और छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र और पुरातत्व में विशेष रुचि रखनेवाले श्री ललित शर्मा जी से हुआ। पिछले महीने ही उनको छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल द्वारा छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों को देश विदेश में पहचान दिलाने लिए उनके योगदान को एक लाख रुपए की सम्मान राशि देकर सराहा गया।फिर उनसे मेरी बातचीत भी हुई। रौबदार व्यक्तित्व है उनका और जानकारी के महासागर भी हैं।उनके ब्लाग ललित डाट काम और अडहा के गोठ को अपार पाठक और प्रसिद्धि मिला है। वर्तमान में न्यूज एक्सप्रेस और दक्षिण कौशल टुडे का संपादकीय दायित्व संभाल रहे हैं।उनसे फोन में बातचीत मात्र से बहुत सी ज्ञानवर्धक जानकारी मिली।ये भी एक मजेदार संयोग है कि मेरे जान पहचान में ललित नामधारी बहुत से लोग हैं और मैं उनके लालित्य में बंधा हुआ हूं।
हां,तो मैं बता रहा था कि पिछले दिनों बिल्कुल भी नया पोस्ट डालने के लिए समय नहीं मिला इसलिए पूरे पन्द्रह दिन मेरा ये ब्लाग खाली रह गया।आज सवेरे मैंने अपने अभिन्न मित्र ललित नागेश को फोन करके टेंगनही माता दरबार में जाने के लिए राजी किया। बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ।जोर जबरदस्ती वाली डांट से माना।दोपहर तीन बजे का समय तय हुआ और मैं अपनी द्विचक्रवाहिनी लेकर कोसमबुडा घाट के तिराहे के पास पहुंच गया।

 कुछ देर बाद ललित भाई भी पहुंचे और एक गाड़ी को वहीं एक दुकान के पास छोड़कर डबल सवारी मां टेंगनहीं दरबार की ओर चल पड़े।रास्ते के आजू-बाजू कहीं मौसम की मार से आहत फसलें खेत में पड़ी नजर आई तो कहीं कटाई के लिए तैयार फसल भी खडी नजर आई।किसान बेचारा अभी कोरोना की दहशत, महंगाई की मार और मौसम की दगाबाजी से हैरान परेशान है।रास्ते भर हम देश दुनिया की चर्चा ही करते रहे।
थोड़ी देर बाद हम अपने गंतव्य में पहुंचे और माता के दर्शन के लिए चल पड़े।माता टेंगनही हमारे क्षेत्र की आराध्य देवी है और मेरे लिए तो मेरी ग्राम्य देवी भी है। उनके ही नाम से मेरे निवास ग्राम का नाम जुड़ा है।इस साल कोरोना के खौफ के कारण नवरात्र नजदीक होने के बाद भी देवी तीर्थ स्थलों में सन्नाटा पसरा है।माता दरबार में जब हम पहुंचे तो वहां कोई भी नहीं था जबकि अन्य वर्ष नवरात्र की तैयारियां इन दिनों में जोर शोर से चला करती थीं। नवरात्र में हमारे यहां कन्यापूजन की परंपरा रही है, लेकिन बीते दिनों घटी अनाचार की घटनाओं की खबरें सुनकर मन व्यथित हो गया है।अभी हाथरस का घटनाक्रम जहर




उगलते न्यूज चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज बनी हुई है।जिस हाथरस का नाम साहित्य जगत में काका हाथरसी के कारण जाना पहचाना है, जहां काका की हास्य पंक्तियों से हास्य फूटा करते थे,आज वहां एक बेटी की सिसकारियां दहला रही है।इंसानी खाल में छुपे भेड़ियों को आखिर पहचाने तो पहचाने कैसे? ना जाने कब इन नरपिशाचों का अंत होगा?पता नहीं आज कैसे अपने भावों को इन शब्दों में पिरोने से स्वयं को रोक नहीं पाया-
बेटियां कहां सुरक्षित है
सड़क पर,घर में,स्कूल
अस्पताल,हास्टल,बस में!!
हैवानों की आंखें घूरती है
सब जगह,हर भीड़,हर मोड़ में
बेटियां सहम जाती है 
गिद्धों की वहशी नजरों से
अपनी चुनरी को व्यवस्थित होने के बाद भी
फिर से व्यवस्थित करने लगती है
घुटनों तक पहनी कमीज को और नीचे तक खींचते 
बढ़ जातें हैं हाथ खुद बखुद
हर अकेली औरत, हैवानों के लिए मौका साबित होता है
रिश्तों की अहमियत भी कहां रह गई है आज
कलंकित होते रिश्ते जगह पाते हैं
अखबार के मुखपृष्ठ पर
कन्यापूजन के दिन चुनरी चढ़ाकर
नन्हीं बच्चियों से आशीष लेते कुछ ढोंगी
अवसर पाते ही उन चुनरियों को तार-तार करने में कसर नहीं छोड़ते!!!

      खैर,ये तस्वीर जल्द बदले।माता रानी कृपा करे। मैं और ललित प्रकृति का सामीप्य पाने की अभिलाषा से गये थे तो हमने प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनंद लिया।कुछ नयनाभिराम दृश्यों को अपने कैमरे से कैद भी किया।अभी मूंगफली की कच्ची फलियां बाजार में उपलब्ध है।हम अपने साथ वही लेकर गये थे बातचीत के दरमियान खाने के लिए। आनंद आ गया।अभी इसके बारे में और ज्यादा लिखूंगा तो पोस्ट लंबी हो जायेगी इसलिए यहीं विराम करता हूं,शेष बातें इस यात्रा की आगामी पोस्ट में....


2 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

संयोग से ही भेंट होती है और उसकी भी घड़ी तय होती है। अपने आस पास की संस्कृति एवं स्थल विशेष की जानकारी ब्लॉग पर आनी चाहिए। बढ़िया लिखा रहे हैं। शुभकामनाएं, जय जोहार।

झांपी-यादों का पिटारा ने कहा…

धन्यवाद सर,बस आपके ही पथ का अनुगामी हूं

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