किस्मत,नसीब,तकदीर,भाग्य पता नहीं सचमुच होता भी है कि नहीं ये मुझे समझ नहीं आता।क्योंकि कुछ लोगों को कड़ी मेहनत करके भी कुछ नहीं मिलता और कुछ लोगों को बैठे बिठाए ही सारे सुख मिल जाते हैं।कर्म के हिसाब से सबको फल मिलता है,ऐसा सुनने में आता है।तो क्या सारे धनकुबेरों ने अच्छे कर्म किए हैं?या दुनिया में गरीबों की जो बहुत बड़ी आबादी अभावग्रस्त जीवन जी रहे हैं उन्होंने खराब कर्म किए हैं। पता नहीं उनको किस कर्म का फल भोगना पड़ रहा है।ये गुत्थी मेरे समझ के बाहर है!!
परिस्थितियों के आगे इंसान मजबूर होता है। बड़े से बड़े प्रतिभावान की प्रतिभा दब जाया करती है। जरूरतमंदों को समय पर ना तो मार्गदर्शन मिल पाता है और ना किसी किस्म की कोई मदद।फलत:अनेक प्रतिभाएं दम तोड़ देती है। हालांकि सरकारी तंत्र बड़े बड़े दावे जरूर करती है पर वास्तविक हकदार तक प्राय:मदद पहुंचने में देर हो जाती है।
हीरा कहीं भी रहे पर अपनी चमक जरूर बिखेरता है,ये शत् प्रतिशत सत्य है।पर हीरे की परख करने वाले और तराशकर गढ़ने वाले जौहरी का होना भी जरूरी है हीरे को मूल्यवान बनाने के लिए।
ऐसा ही एक कीमती हीरा है श्री धनेश साहू। तिल्दा-नेवरा में पान की छोटी सी दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।घर और दुकान के बाद जो समय बचता है उसमें चित्रकारी का अपना शौक पूरा करते हैं।परिस्थिति वश अधिक पढ़ने का उनको अवसर नहीं मिल पाया और वे अपने सपनों को मनमुताबिक आकार नहीं दे पाये।मगर उनकी कल्पनाओं में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और ग्राम्य जीवन बसती है,जो उनके हाथों के जादू से कागज पर उतर आता है।उनके बनाए चित्रों मे मजदूर की पीड़ा,छत्तीसगढ़ की संस्कृति, तीज-त्योहार और ग्राम्य जीवन का सुंदर चित्रण देखने को मिलता है। पिछले दिनों राज्य स्थापना दिवस पर उनके बनाए चित्रों की प्रदर्शनी बालोद में लगी थी।जिसे कलाप्रेमियों ने खूब सराहा था।साहूजी द्वारा बनाया छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र वाट्सएप के माध्यम से खूब प्रसिद्धि पा रहा है। वाटर कलर से साधारण कागज पर बनाई उनकी पेंटिंग मंत्रमुग्ध कर देती है।रंगोली के भी बढ़िया कलाकार हैं।उनको एक मंच की जरूरत है, जहां उनकी कला को अवसर मिले।सरल सहज स्वभाव के धनी धनेश साहू जी की कृतियों को आप उनके फेसबुक पेज पर जाकर देख सकते हैंhttps://www.facebook.com/100022997314063/posts/806752160101354/?sfnsn=wiwspwa
1 टिप्पणी:
Karm ka phal to milta hai, jo jaisa karm karega vaisa hi phal payega, jo aam dhan Kuber hain kabhi unke pita ya dada ya paradada garib the aur mehnat karke is mukam par pahunche,par mehnat to sabhi karte hain par kaha aur kab mehnat karna hai ye sabako nahi aata,jivan me risk lena bhi aana chahiye agar aapne bade ho to bada risk hota hai. Sapne bhi bahut mahatvapoorn hain, bade sapne dekho aur us sapne ko purn karne ke liye sahi Disha me mehnat karo..... iske alawa aur koi chaara nahi hai, bhagwan ne sabako 2 hath pair aur dimag diya hai ab log uska kaise istemal karte hain ye unke upar hai.
एक टिप्पणी भेजें