कोरोना के बारे में पहला समाचार मैंने दिसंबर माह में टीवी न्यूज में देखा था। जिसमें बताया जा रहा था कि कोई नये किस्म का वायरस चीन के वुहान शहर में तबाही मचा रही है।जिसके कारण से वहां वायुयान सेवा बंद की जा रही थी।तब बिल्कुल भी ये अंदेशा नहीं था कि वुहान शहर से निकली ये चिंगारी दावानल में बदलकर समूचे विश्व को राख करने के लिए चल पड़ेगी।जिसकी आंच अब हमको अपने आसपास भी महसूस हो रही है।
मार्च महीने में जब ऐतिहातन स्कूलों को बंद किया गया तब महसूस हुआ कि ये बीमारी महानगरों तक तबाही मचायेगी।फिर देश में लाकडाऊन लगाने का क्रम चला तब तक देश के बड़े महानगर चपेट में आ चुके थे।फिर भी लगा कि हम सुरक्षित हैं। फिलहाल हमारे राज्य में कोई केस नहीं है।अप्रेल के आते-आते हमारा ये भ्रम भी जाता रहा।तब इक्के दुक्के केस आने लगे थे।लेकिन जैसे ही लाकडाऊन के कारण अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों को और विदेश तथा देश के अन्य हिस्सों में फंसे विद्यार्थियों को घर लाने का कार्य शुरू हुआ।मानो कोरोना का कहर शुरू हो गया।अपने घरों में सुरक्षित बैठकर चाय की चुस्कियां लेकर समाचार देखने वाले लोग मजदूरों को कोरोना का वाहक समझकर कोसने लगे थे।घर वापसी के अभियान में कितने ही मजदूरों को प्राण देने पड़े और अनगिनत लोग नरकतुल्य कष्टों को झेलकर अपने घर तक पहुंचने में कामयाब भी हुए। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी थी। जब तक राज्य सरकारें केंद्र सरकार के आदेश को मानने के लिए बाध्य थी तब तक कोरोना पर कुछ-कुछ अंकुश लगा रहा। लेकिन जैसे ही राज्यों को अपने स्थानीय प्रशासन को अपने राज्य की परिस्थितिनुकुल चलाने की छूट मिली।प्रशासन ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढील देने की शुरुआत की परिणामत: कोरोना का फैलाव बढ़ने लगा।पहले दारू भट्ठियां खुली, दुकान खुले,फिर बाजार खुले और धीरे-धीरे अनलाक सिस्टम आते तक सब कुछ बेरोकटोक हो गया।लोग भूल गए कि कोरोना के जद में वो अब भी हैं। सामाजिक दूरी रखने के नियम की धज्जियां उड़ाई गई।मास्क लगाने को लोग हल्के में लेने लगे।कुछ बड़े कार्यक्रम भी इस दौरान हुए जो सोशल डिस्टेसिंग के खिलाफ थी लेकिन सरकारी संरक्षण में सब जायज हो जाता है।आम आदमी नियमों के जंजीर से बंधे होने के लिए बाध्य होते हैं,नेता लोग नियमों को अपने हिसाब से एडजस्ट कर लेते हैं।अप्रेल महीने में मैंने कोरोना के ऊपर पहले भी एक पोस्ट लिखी थी जिसमें मैंने छत्तीसगढ़ की जागरूकता का विशेष उल्लेख किया था। लेकिन अब वो जागरूकता खतम हो गई है और छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े शहर बड़ी संख्या में संक्रमित है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की तो बुरी गत हो गई है।कोरोना अब गांव-गांव में फैल चुका है।कुछ जिला के कलेक्टर कोरोना संक्रमण की बढती रफ्तार को रोकने के लिए लाकडाऊन करवा रहे हैं।
अब सोशल डिस्टेंसिंग की बातें मोबाइल के डायलर टोन तक रह गई। लेकिन अब कोरोना का भयावह रूप नजर आने लगा है।अब कोरोना सिर्फ महानगरों तक ही नहीं बल्कि हमारे पड़ोस तक आ पहुंचा है। अस्पताल में मरीजों को रखने के लिए जगह नहीं है। मृतकों के शव की अंतिम संस्कार के लिए प्रतीक्षा करने की नौबत आ गई है।अब हम सबको संभलने और सचेत रहने की ज्यादा जरूरत है।कोरोना की वैक्सीन बनने की खबरें आती रहती है।रूस ने कामयाबी पा ली है और हमारे वैज्ञानिक भी इस अभियान में जुटे हुए हैं।चीन में कोरोना की थमी रफ्तार को देखकर लगता है कि जरूर उसने भी वैक्सीन बना ली होगी मगर फिलहाल खामोश है।चीन ने कोरोना मामले को लेकर रहस्य का आवरण ओढ़ रखा है।उनकी सारे जानकारियां गोपनीय है।हां,ये अलग बात है कि दूसरे देशों की जानकारी इकट्ठा करने और जासूसी में उसको खासा दिलचस्पी है।
अभी का दौर मुश्किलों भरा है,मगर उम्मीद है खुशियों का सवेरा जल्दी ही लौटेगा...
तब तक घर पर रहें, सुरक्षित रहें अपनों को सुरक्षित रखें...
2 टिप्पणियां:
कोरोना फ़ैल नहीं रहा उसे हम फैला रहे है... अगर आम जनता जागरूक हो जाये तो... बात ही क्या है
सत्यवचन डाक्टर साहब
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